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Addicted to Bettering Myself....

5Attempts, on the way to my Last one... “In a time of destruction, create something.” 

Dionysus,Haryanaand5 otherslike this
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9 comments

Don't lose hope. I had cleared CSE in the 6th attempt! Give your best shot.
Dionysus,Haryanaand5 otherslike this
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@Navycut Thanks for your kind words.
Such an inspiring journey of yours....! 


Navycut,
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Don’t loose hope ,you can do anything as beautifully said by Dinkar ji -

प्रासादों के कनकाभ शिखर,

होते कबूतरों के ही घर,

महलों में गरुड़ ना होता है,

कंचन पर कभी न सोता है.

रहता वह कहीं पहाड़ों में,

शैलों की फटी दरारों में.


होकर सुख-समृद्धि के अधीन,

मानव होता निज तप क्षीण,

सत्ता किरीट मणिमय आसन,

करते मनुष्य का तेज हरण.

नर वैभव हेतु लालचाता है,

पर वही मनुज को खाता है.


चाँदनी पुष्प-छाया मे पल,

नर भले बने सुमधुर कोमल,

पर अमृत क्लेश का पिए बिना,

आताप अंधड़ में जिए बिना,

वह पुरुष नही कहला सकता,

विघ्नों को नही हिला सकता.


उड़ते जो झंझावतों में,

पीते जो वारि प्रपातो में,

सारा आकाश अयन जिनका,

विषधर भुजंग भोजन जिनका,

वे ही फानिबंध छुड़ाते हैं,

धरती का हृदय जुड़ाते हैं.

Archand,msquareand4 otherslike this
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@Rashmirathi Beautifully written!!


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I don’t want to sound pessimistic but I have realised that in life , it’s a must to life by Murphy’s law.

When one prepares keeping that condition as a reality, then it’s the most practical life.


this is not about upsc but about life 

DM,nerdslayerand2 otherslike this
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Deleted
Agreed!
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Don’t loose hope ,you can do anything as beautifully said by Dinkar ji -

प्रासादों के कनकाभ शिखर,

होते कबूतरों के ही घर,

महलों में गरुड़ ना होता है,

कंचन पर कभी न सोता है.

रहता वह कहीं पहाड़ों में,

शैलों की फटी दरारों में.


होकर सुख-समृद्धि के अधीन,

मानव होता निज तप क्षीण,

सत्ता किरीट मणिमय आसन,

करते मनुष्य का तेज हरण.

नर वैभव हेतु लालचाता है,

पर वही मनुज को खाता है.


चाँदनी पुष्प-छाया मे पल,

नर भले बने सुमधुर कोमल,

पर अमृत क्लेश का पिए बिना,

आताप अंधड़ में जिए बिना,

वह पुरुष नही कहला सकता,

विघ्नों को नही हिला सकता.


उड़ते जो झंझावतों में,

पीते जो वारि प्रपातो में,

सारा आकाश अयन जिनका,

विषधर भुजंग भोजन जिनका,

वे ही फानिबंध छुड़ाते हैं,

धरती का हृदय जुड़ाते हैं.

Its a part of Rashmirathi by Ramdhari singh Dinkar ji

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What stage of the exam are you stuck on?

I am no knight. Do not call me Sir|Philosophy behind ForumIAS

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