सब जाग रहे तू सोता रह
किस्मत को थामें रोता रह
जो दूर है माना मिला नही,
जो पास है वो भी खोता रह ..
धुप अभी सिरहाने है
मौसम जाने पहचाने है..
रात अभी तो घंटों है
बस कुछ पल दूर ठिकाने है..
इतनी दूरी तय कर आया
दो पग चलने में रोता रह
सब जाग रहे तू सोता रह ...
माना कि मुश्किल भारी है
पर तुझमें क्या लाचारी है..
ये हार नही बाहर की है
भीतर से हिम्मत हारी है.
उठ रहे यहाँ सब गिर गिरकर
न उठ तू यूं ही लेटा रह..
सब जाग रहे तू सोता रह... - Kavi Sandeep Dwivedi
reference @Yo_Yo_Choti_Singh