@AlexanderSupertramp From Murakami's Kafka on the shore right? Have you read it?
yes!
कोशिश कर, हल निकलेगा , आज नहीं तो, कल निकलेगा.
अर्जुन के तीर सा सध ,मरूस्थल से भी जल निकलेगा.
मेहनत कर, पौधों को पानी दे , बंजर जमीन से भी फल निकलेगा.
ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे, फ़ौलाद का भी बल निकलेगा
जिंदा रख, दिल में उम्मीदों को ,गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा.
कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की, जो है आज थमा-थमा सा, चल निकलेगा
-Anand Param