Q. 10. मिलर-यूरे (Miller-Urey) प्रयोग का प्राथमिक उद्देश्य है:

[A] प्राकृतिक चयन की प्रक्रिया का अध्ययन करना

[B] यह प्रदर्शित करना कि प्रारंभिक पृथ्वी की स्थितियों में सरल कार्बनिक अणु कैसे बन सकते हैं

[C] यह साबित करना कि जीवन की उत्पत्ति गहरे समुद्र के हाइड्रोथर्मल वेंट में हुई थी

[D] स्वतःस्फूर्त पीढ़ी के सिद्धांत का परीक्षण करना

Answer: B
Notes:

व्याख्या  – हेरोल्ड यूरे (Harold Urey) के मार्गदर्शन में स्टेनली मिलर (Stanley Miller) द्वारा 1952 में किए गए मिलर-यूरे (Miller-Urey) प्रयोग का उद्देश्य इस परिकल्पना का परीक्षण करना था कि जीवन के लिए आवश्यक कार्बनिक अणु, प्रारंभिक पृथ्वी के समान समझी जाने वाली स्थितियों के तहत अकार्बनिक यौगिकों से स्वतःस्फूर्त रूप से बन सकते हैं। प्रयोग ने पानी, मीथेन, अमोनिया और हाइड्रोजन का उपयोग करके पृथ्वी के आदिम वातावरण का अनुकरण किया, जिसमें बिजली की चिंगारी बिजली की तरह चमकती थी। इसने सफलतापूर्वक अमीनो एसिड का उत्पादन किया, जो अबियोजेनेसिस परिकल्पना के लिए सबूत प्रदान करता है।

Source: Forum IAS

Blog
Academy
Community