Q. 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. भारत में न्यायालय की अवमानना कानूनों का प्राथमिक उद्देश्य न्यायपालिका की गरिमा और अधिकार को बनाए रखना है।
2. न्यायिक अवमानना और कार्यकारी अवमानना भारत में न्यायालय की अवमानना के दो प्रकार हैं।
ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
Quarterly-SFG-Jan-to-March
Red Book

[A] केवल 1

[B] केवल 2

[C] 1 और 2 दोनों

[D] न तो 1 और न ही 2

Answer: A
Notes:

व्याख्या  –

कथन 1 सही है। भारत में न्यायालय की अवमानना ​​के कानूनों का प्राथमिक उद्देश्य न्यायपालिका की गरिमा और अधिकार को बनाए रखना है, जैसा कि न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 में कहा गया है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है और न्याय प्रशासन में जनता का विश्वास बनाए रखता है।

कथन 2 गलत है। भारत में न्यायालय की अवमानना ​​को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है: सिविल अवमानना ​​और आपराधिक अवमानना। सिविल अवमानना ​​में न्यायालय के आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करना शामिल है, जबकि आपराधिक अवमानना ​​में ऐसी कार्रवाइयां शामिल हैं जो न्यायालय के अधिकार को बदनाम या कमजोर करती हैं।

Source: The Hindu


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