राइट टू डिस्कनेक्ट : महत्व और चुनौतियां- बिंदुवार व्याख्या
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हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने ‘राइट टू डिस्कनेक्ट कानून’ पारित किया जो कर्मचारियों को ऑफिस टाइम के बाद ऑफिस वर्क सम्बंधित किसी भी प्रकार के कॉल/ईमेल को नजरअंदाज करने का अधिकार देता है। इसका उद्देश्य ऑफिस वर्क और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन को बढ़ावा देना और आज के डिजिटल युग में ऑफिस वर्क और व्यक्तिगत जीवन के बीच बढ़ती तनाव को कम करना है। भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में भी इसी तरह की मांग बढ़ रही है।

इस लेख में हम राइट टू डिस्कनेक्ट कानून के उद्देश्यों पर नजर डालेंगे। हम उन तर्कों पर गौर करेंगे जो इस कानून का समर्थन करते हैं। हम ऐसे कानूनों को लागू करने के खिलाफ तर्कों पर भी गौर करेंगे। हम ऑफिस वर्क और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन को बढ़ावा देने के अन्य विकल्पों और आगे की राह पर भी गौर करेंगे।

कंटेंट टेबल
राइट टू डिस्कनेक्ट कानून के उद्देश्य क्या हैं?

राइट टू डिस्कनेक्ट कानून की आवश्यकता क्यों है?

राइट टू डिसकनेक्ट कानून के क्या फायदे हैं?

राइट टू डिसकनेक्ट कानून के विरुद्ध क्या तर्क हैं?

आगे का रास्ता क्या होना चाहिए?

राइट टू डिस्कनेक्ट कानून के उद्देश्य क्या हैं?

राइट टू डिस्कनेक्ट – राईट टू डिस्कनेक्ट ऑफिस वर्क के बाद के समय के दौरान काम से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक संचार जैसे ई-मेल या संदेश/कॉल को नजरअंदाज करने का अधिकार को संदर्भित करता है।

राइट टू डिस्कनेक्ट के उद्देश्य

  1. कर्मचारी कल्याण की सुरक्षा (Protection of Employee Well-Being)- इस कानून का उद्देश्य कर्मचारियों को निरंतर कनेक्टिविटी से जुड़े मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य जोखिमों से बचाना है।
  2. ऑफिस वर्क और व्यक्तिगत जीवन के संतुलन को बढ़ावा देना (Promotion of Work-Life Balance)- ऑफिस वर्क के बाद भी ऑफिस सम्बंधित वर्क कर्मचारियों की कार्यों को प्राथमिकता देने और जटिल समस्याओं को प्रभावी ढंग से हल करने की क्षमता को कम कर देता है।
  3. उत्पादकता में वृद्धि (Encouragement of Productivity)- कानून निर्दिष्ट कार्य घंटों के दौरान अधिक केंद्रित और उत्पादक कार्य को बढ़ावा देता है, यह सुनिश्चित करके कि कर्मचारी ऑफिस समय के बाद ऑफिस वर्क से अलग हो सकते हैं।
  4. आधुनिक कार्य वातावरण को अपनाना (Adapt to Modern Work Environments)- राइट टू डिस्कनेक्ट कानून डिजिटल-फर्स्ट विश्व में सीमाओं को बनाए रखने की आधुनिक चुनौतियों का समाधान करता है।

अन्य देश जो राइट टू डिस्कनेक्ट को लागू कर रहे हैं

फ्रांस

(France)

2017 में, फ्रांस ने एक कानून पारित किया जिसमें 50 या अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को कर्मचारी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करना आवश्यक है ताकि श्रमिकों से इलेक्ट्रॉनिक रूप से संपर्क करने के लिए दिशानिर्देश स्थापित किए जा सकें। नियोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारी ऑफिस वर्क समय के बाद कार्य सम्बंधित ईमेल/कॉल/सन्देश से डिस्कनेक्ट कर सकें। अनुपालन न करने पर कर्मचारी की कुल कमाई का 1% तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
बेल्जियम

(Belgium)

बेल्जियम ने 2022 में श्रमिकों को राईट टू डिस्कनेक्ट को लागू किया, शुरुआत में 20 या अधिक कर्मचारियों वाली फर्मों के लिए इसे निजी क्षेत्र में विस्तारित करने से पहले सिविल सेवकों को शामिल किया।
स्पेन

(Spain)

स्पेन में, 2018 के रिमोट वर्किंग कानून में उचित ऑफिस वर्क और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन को बढ़ावा देने के लिए राईट टू डिस्कनेक्ट क़ानून को लागू किया। कानून के अनुसार नियोक्ताओं और कर्मचारियों को कार्य-संबंधी सभी संचार को सीमित करने के लिए दिन के एक विशिष्ट समय पर सहमति बनाना आवश्यक है
पुर्तगाल

(Portugal)

पुर्तगाल में राईट टू डिस्कनेक्ट क़ानून के तहत दस या अधिक स्टाफ सदस्यों वाले नियोक्ताओं यदि नियमित ऑफिस वर्क समय के बाद अपने कर्मचारियों से संपर्क करते हैं तो उन्हें दंड का सामना करना पड़ सकता है।
आयरलैंड

(Ireland)

आयरलैंड ने ऑफिस वर्क समय के बाद ऑफिस वर्क से डिस्कनेक्ट करने के अधिकार के संबंध में एक अभ्यास संहिता (Code of Practice) स्थापित की है।

राइट टू डिस्कनेक्ट कानून की आवश्यकता क्यों है?

  1. लंबे समय तक वर्क करने के साथ उत्पादकता में गिरावट (Decline in productivity with Long Working Hours) – शोध से पता चलता है कि प्रति सप्ताह 50 घंटे काम करने के बाद उत्पादकता में काफी गिरावट आती है, और 55 घंटों के बाद उत्पादकता में अधिक कमी आती है। जर्मनी और जापान ने उत्पादकता में अधिक वृद्धि के लिए वर्क समय घटाकर सालाना 1,400-1,600 घंटे कर दिया।

उदाहरण के लिए- विश्व के सबसे अधिक उत्पादक देशों में एक सप्ताह में सबसे कम कार्य दिवस होते हैं।

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Source- TIME
  1. बर्नआउट और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे (Burnout and Mental Health Issue-)- जो कर्मचारी प्रति सप्ताह लंबे समय तक काम करते हैं, वे बर्नआउट, तनाव के उच्च स्तर और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अधिक अनुभव करते हैं। विस्तारित कार्य घंटे किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और ऑफिस वर्क और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
  2. तनाव से संबंधित मुद्दों के कारण स्वास्थ्य देखभाल खर्च में वृद्धि (Increased healthcare costs due to stress-related issues)- लंबे समय तक काम करने के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य देखभाल में अत्यधिक खर्च होती है, क्योंकि अवसाद संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं अधिक प्रचलित है।
  1. पारिवारिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव (Negative Effect on Family Life)- लंबे समय तक काम करने से व्यक्तिगत और पारिवारिक दायित्वों को पूरा करना अधिक कठिन हो जाता है, परिवार के भीतर रिश्तों में तनाव आ जाता है और ऑफिस वर्क और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बिगड़ जाता है।
  2. कम रचनात्मकता और नवीनता (Diminished Creativity and Innovation)- अधिक काम करने वाले लोग अक्सर कम रचनात्मकता और नवीनता को प्रदर्शित करते हैं। थकान किसी व्यक्ति की मौलिक विचार और समस्या-समाधान की क्षमता में बाधा डालती है।
  3. काम की गुणवत्ता में कमी (Work Quality)- लंबे समय तक काम करने से लगातार बेहतर काम नहीं होता। थके हुए कर्मचारियों में गलतियाँ करने और खराब काम करने की संभावना अधिक होती है।
  4. लैंगिक असमानताओं का बढ़ना (Exacerbation of gender Inequalities)- काम के बढ़े हुए घंटों का महिलाओं पर असंगत प्रभाव पड़ता है, जो अक्सर अधिक देखभाल और घरेलू दायित्वों का वहन करती हैं, जिससे लैंगिक असमानताएं बढ़ती हैं।
  5. शोषण का खतरा (Danger of Exploitation)- नियोक्ता विस्तारित कार्य घंटों की संस्कृति का लाभ उठाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अवैतनिक ओवरटाइम, निम्न कार्य स्थितियां और श्रमिकों के अधिकारों का दुरुपयोग हो सकता है।
  6. समुदाय और समाज पर नकारात्मक प्रभाव (Negative Impact on the Community and Society)- लंबे समय तक काम करने से समुदाय और समाज में भागीदारी कम हो जाती है, जिसका स्वयंसेवी कार्य और सामाजिक एकजुटता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

राइट टू डिसकनेक्ट कानून के क्या फायदे हैं?

  1. बर्नआउट जोखिम में उल्लेखनीय कमी (Significant decrease in burnout risk) – जब कर्मचारियों के पास राईट टू डिस्कनेक्ट का समय नहीं होता है तो बर्नआउट/अवसाद का जोखिम काफी बढ़ जाता है।
  2. तनाव संबंधी बीमारियों में कमी (Reduction of stress related diseases)- काम के ईमेल की जाँच करना या देर शाम तक काम से संबंधित तनाव से निपटना अक्सर नींद के पैटर्न को बाधित करता है। यह संज्ञानात्मक कार्य को प्रभावित करता है और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कमजोर प्रतिरक्षा और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी स्थितियों के बढ़ते जोखिम में भी योगदान देता है। राईट टू डिस्कनेक्ट ऐसी तनाव संबंधी बीमारियों को कम करता है।
  3. व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों जिम्मेदारियों को पूरा करना (Fulfilment of both personal and professional responsibilities)- जो कर्मचारी काम से छुट्टी नहीं ले पाते हैं उन्हें अक्सर लगता है कि उनका निजी जीवन उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों पर भारी पड़ रहा है। राईट टू डिस्कनेक्ट व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों जिम्मेदारियों को पूरा करने की अनुमति देता है।
  4. कर्मचारी संतुष्टि में वृद्धि (Increase in employee satisfaction)- अधिक काम के घंटे अक्सर व्यक्तिगत समय में हस्तक्षेप करते हैं, कर्मचारियों को अक्सर लगता है कि वे अपने शेड्यूल पर स्वायत्तता खो रहे हैं, जिससे उनकी नौकरी या नियोक्ता के प्रति निराशा और नाराजगी होती है। राईट टू डिस्कनेक्ट कानून कर्मचारी के असंतोष को कम करने और उसकी संतुष्टि के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।

राइट टू डिस्कनेक्ट कानून के विरुद्ध क्या तर्क हैं?

  1. भारत जैसे देशों में आर्थिक विकास में कमी (Reduction of economic development in countries like India-)- राईट टू डिस्कनेक्ट संभावित रूप से विकास को रोक सकता है, खासकर भारत जैसी प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में। इस दृष्टिकोण से राष्ट्रीय समृद्धि में गिरावट आ सकती है, और काम के घंटे कम हो सकते हैं जिससे निरंतर आर्थिक विकास की क्षमता कम हो सकती है।
  2. सफलता की उपलब्धियों के लिए सुस्ती कि खतरा (Dull the edge for breakthrough achievements)- ‘राईट टू डिस्कनेक्ट’ एक कर्मचारी के ‘आधिकारिक कामकाजी घंटों के बाहर काम से संबंधित संचार से डिस्कनेक्ट’ करने के अधिकार की वकालत करता है, जो उन अर्थव्यवस्थाओं में सफलता की उपलब्धियों को कम कर सकता है जहां नवाचार और तेजी से प्रगति महत्वपूर्ण हैं।
  3. अवकाश पर अधिक ध्यान (Increased focus on leisure)- अवकाश पर अत्यधिक ध्यान मध्यम प्रदर्शन करने वाले श्रमिकों को धीमा कर देता है, जबकि उच्च प्रदर्शन करने वाले पेशेवर लगभग हमेशा शीर्ष पर होंगे।
  4. सांस्कृतिक लोकाचार के साथ बाधा (At odds with cultural ethos)– सामाजिक मूल्य कड़ी मेहनत, महत्वाकांक्षा और उत्कृष्टता की खोज पर बहुत महत्व देता है। इस संदर्भ में, ‘राईट टू डिस्कनेक्ट’ की अवधारणा सांस्कृतिक लोकाचार के साथ बाधा ला सकती है जो निरंतर प्रयास और पेशेवर विकास को कम कर सकता है।
  5. मौलिक अधिकारों के विरुद्ध (Against Fundamental Rights)- भारत में, काम के अधिकार को संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में परिकल्पित किया गया है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में समानता और जीवन के अधिकार के समान काम के महत्व को रेखांकित करता है।
  6. प्रति-सहज ज्ञान (Counterintuitive idea)- काम से अलग होने का विचार शायद ऐसे देश में प्रति-अंतर्ज्ञानात्मक है जहां काम केवल साध्य का साधन नहीं बल्कि पहचान, गौरव और उद्देश्य का स्रोत है।

आगे की राह क्या होनी चाहिए?

  1. नियोक्ता की ओर से जिम्मेदारियां (Responsibilities on the part of employer)– नियोक्ता को ऐसी नीतियां स्थापित करनी चाहिए जो ऑफिस समय और व्यक्तिगत समय के बीच की सीमा का सम्मान करें। इसमें घंटों के बाद संचार को सीमित करना और यह सुनिश्चित करना शामिल होना चाहिए कि कर्मचारी समझते हैं कि उन्हें निर्दिष्ट घंटों के बाहर काम के ईमेल या कॉल का जवाब देने की उम्मीद नहीं है।
  2. छुट्टियों को बढ़ावा देना (Promotion of vacation)- छुट्टी के दिनों, व्यक्तिगत समय और कार्यदिवस के दौरान नियमित ब्रेक के उपयोग को बढ़ावा देने से कर्मचारियों को व्यक्तिगत जीवन कि संतुलन में मदद मिल सकती है। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के एक अध्ययन से पता चलता है कि जो कर्मचारी नियमित रूप से छुट्टी लेते हैं, वे नौकरी से संतुष्ट रहते हैं और जब वे काम पर लौटते हैं तो अधिक उत्पादक होते हैं।
  3. लचीले शेड्यूल (Flexible Schedules)- लचीले शेड्यूल जो कर्मचारियों को अपने काम के घंटों का प्रबंधन करने की अनुमति देते हैं, उन्हें बेहतर कार्य-जीवन संतुलन हासिल करने में मदद कर सकते हैं। हमें एक ऐसी कंपनी संस्कृति बनानी चाहिए जहां काम के बाद डिस्कनेक्ट करना न केवल स्वीकार किया जाए बल्कि प्रोत्साहित किया जाए।
  4. मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करना (Supporting mental health)- हमें परामर्श, कल्याण कार्यक्रमों या मानसिक स्वास्थ्य दिवसों तक पहुंच के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करना चाहिए, जिससे कर्मचारियों को काम से संबंधित तनाव का प्रबंधन करने और बर्नआउट को रोकने में मदद मिल सके।
  5. उदाहरण के तौर पर मेनेजर का नेतृत्व (Managers leading by example)- प्रबंधक काम के घंटों के बाद ईमेल या संदेश न भेजकर और निजी जीवन के लिए समय निकालना प्राथमिकता प्रदान कर सकते हैं।
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